॥ ऋत है सुहानी ॥
दिलपे छायी हैरानी
छलका, ऑंखों मे, पानी
यूं तडपाओ न, दिलरूबा
आ गले लग जा, ओ मेहबूबा...
आ गले लग जा, ओ मेहबूबा...
सूनी,तेरे बिना, लगती है जिन्दगी
जागे, आहट तेरी सुनकर, ये दिल्लगी
सुनकर, ये दिल्लगी
कानों में आया तन-मन
कहती हैं, दिलकी धडकन
अब तो आ जा, कि दिन डूबा...
आ गले लग जा, ओ मेहबूबा...
आ गले लग जा, ओ मेहबूबा...
आ जा ऐसे, सनम, लहराते दौडके
दुनिया के, संगदिल रस्मों को, तोडके
रस्मों को, तोडके
गाएगी, हर जवानी
तेरी-मेरी कहानी
हो कर, तो देख, मेहरुबॉं...
आ गले लग जा, ओ मेहबूबा...
आ गले लग जा, ओ मेहबूबा...
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-- रविशंकर.
१0 जून २०१७
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